एक बार बचपन जीना चाहती थी। एक बार बचपन जीना चाहती थी।
मान तो रखना ही था अपने अज़ीज़ का, कैसे तबाह होने देती एक अटूट भरोसे की डोर मेरी ऊँगलि... मान तो रखना ही था अपने अज़ीज़ का, कैसे तबाह होने देती एक अटूट भरोसे ...
तुम खुद जिद्दी बन जाओगे तुम खुद जिद्दी बन जाओगे
जीते जी समझा होता गंगा सी आज खाक़ न उड़ती मेरी यूँ चिल्लाती..! जीते जी समझा होता गंगा सी आज खाक़ न उड़ती मेरी यूँ चिल्लाती..!
दुनिया के मज़दूरों उठो अपने मेहनत की दुनिया से मांगों हक़ जायज ! दुनिया के मज़दूरों उठो अपने मेहनत की दुनिया से मांगों हक़ जायज !
जो कस्मे मेरे साथ रहने की खाई थी। जो कस्मे मेरे साथ रहने की खाई थी।